एक सच्ची अधूरी मोहब्बत ?


एक अधूरी मोहब्बत

शहर की भीड़-भाड़ से दूर, पहाड़ियों के बीच बसा एक छोटा सा कस्बा था – शांत, सुरम्य और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर। इसी कस्बे में रहती थी आयुषी, जो अपनी मासूमियत और हंसी से हर किसी का दिल जीत लेती थी। दूसरी ओर था आरव, एक शांत और गंभीर स्वभाव का लड़का, जिसे किताबों और संगीत से प्यार था।

आयुषी और आरव की मुलाकात बचपन में हुई थी। दोनों पड़ोसी थे, और धीरे-धीरे दोस्ती गहरी होती गई। आयुषी चंचल थी, तो आरव गंभीर। दोनों एक-दूसरे के स्वभाव से बिल्कुल विपरीत थे, लेकिन शायद यही उनकी दोस्ती की सबसे बड़ी ताकत थी।


समय बीतता गया, और उनकी दोस्ती कब प्यार में बदल गई, उन्हें खुद भी पता नहीं चला। आरव हमेशा आयुषी का ख्याल रखता, उसकी छोटी-छोटी खुशियों का ध्यान रखता। दूसरी ओर, आयुषी उसकी उदासी को दूर करने की कोशिश करती, उसे हंसाने के लिए न जाने क्या-क्या करती।


एक दिन बारिश हो रही थी। आयुषी और आरव अपनी पसंदीदा जगह – पहाड़ी के किनारे बैठे थे। आयुषी ने हंसते हुए कहा, "पता है, अगर मैं कभी अचानक कहीं चली जाऊं, तो क्या करोगे?"


आरव ने उसकी आंखों में देखते हुए कहा, "मैं तुम्हें हर जगह ढूंढूंगा, जब तक कि तुम खुद ना आ जाओ।"


आयुषी खिलखिला कर हंस पड़ी, लेकिन उसकी हंसी में एक हल्की उदासी थी।


कुछ दिनों बाद, आयुषी के माता-पिता ने बताया कि उन्हें शहर शिफ्ट होना पड़ेगा। यह सुनकर आयुषी का दिल टूट गया। उसने आरव से मिलने की कोशिश की, लेकिन वो उस दिन कहीं गायब था।


शहर जाने के बाद आयुषी ने कई बार आरव से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन वह उसे कभी नहीं मिला। दिन, महीने, और साल बीतते गए। आयुषी की ज़िंदगी आगे बढ़ गई, लेकिन दिल के किसी कोने में वह हमेशा आरव के इंतज़ार में रही।


फिर एक दिन, जब वह अपने पुराने कस्बे लौटी, तो उसे पता चला कि आरव उसी दिन, जब वह शहर गई थी, पहाड़ी के किनारे गया था और वहीं से गिरकर उसकी मौत हो गई।


आयुषी की आंखों में आंसू थे। उसे याद आया कि आरव ने कहा था – "मैं तुम्हें हर जगह ढूंढूंगा, जब तक कि तुम खुद ना आ जाओ।" शायद अब वो भी उसका इंतज़ार कर रहा था, कहीं दूर…


"कुछ मोहब्बतें अधूरी रहकर भी पूरी होती हैं..."

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